कृत्रिम होशियारी

आरुष कक्षा आठ में पढता है .उसने इस हास्य कविता के द्वारा AI (Artificial Intelligence/कृत्रिम होशियारी ) पर अपने विचार व्यक्त किये हैं.

1956 में हुआ कृत्रिम होशियारी का अविष्कार, 
लोगों ने बनाए ऐसे यन्त्र जो दें इंसानो को मात

सोचा की बनाए खुद-ब-खुद चलने वाली कार,
होशियार रोबट, विमान,मिसाइल और हथियार

कर सकते हैं यह रोबोट दिन रात काम, 
इन्हे चाइये ना खाना, ना पीना, ना ही आराम

कभी न गलत होते इतने हैं यह होशियार, 
यह सब हुआ मुमकिन क्योंकि हुआ AI का अविष्कार

यह थे कृत्रिम होशियारी के विभिन्न लाभ,
अब करते हैं इसके नुक़्सानो का हिसाब

भावनात्मक बुद्धि की नहीं हुई इनके अंदर स्थापना, 
इसलिए नहीं है इनके अंदर प्यार की भावना

हर चीज़ की करनी पड़ती है कोडिंग, 
चाहे वह हो - वाकिंग, सिंगिंग या डांसिंग

क्या AI संवारेगा हमारी दुनिया, 
या यह है एक मिथ्या,
हमें पहले करनी चाहिए इस पर चर्चा, 
फिर करना चाहिए इस पर खर्चा |

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